रयत शिक्षण संस्थान के चिचोंडी पाटिल ने अहिल्यानगर में ‘न्यू इंग्लिश स्कूल एंड जूनियर कॉलेज’ के नए भवन का उद्घाटन किया।

संगठन के सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, छात्रों एवं अभिभावकों से संवाद किया। संस्थान के अगले शैक्षणिक कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।रयत शिक्षण संस्थान के वाइस चेयरमैन एड. भागीरथ शिंदे, उत्तर मंडल अध्यक्ष आशुतोष काले, प्रबंधक परिषद सदस्य दादाभाऊ कलमकर, मीनाताई जगधने, महेन्द्रशेठ घरत, बबनराव पचपुते, बाबासाहेब भोस, डॉ ज्ञानदेव म्हस्के, नवनाथ बोडके, श्री। फाल्के, पड़ोसी तालुका के पूर्व विधायक साहेबराव दरेकर नाना, सलाहकार समिति के सदस्य महादेव आबा कोकाटे, मंच पर मौजूद सभी भाई-बहन और साथी..!यह वह जगह है जहां हम एक नई वास्तुकला का उद्घाटन करने के लिए खड़े हैं। महादेव आबा कोकाटे और उनके साथियों से आज के इस कार्यक्रम में आने का आग्रह किया गया। सत्य जिद नहीं जिद्दी था। इसीलिए आज हम सब इस जगह पर आ पाए। यहाँ आकर इस वास्तुकला को देखने के बाद गांव वालों की क्या जिद थी? इस वास्तुकला को देखने के बाद हम सभी जानते हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस वास्तुकला का उद्घाटन आप सभी साक्षीदारों द्वारा यहां आकर किया गया।रयत शिक्षण संस्थान की खासियत यह है कि वे हर जगह अपने कार्य को आम लोगों के सहयोग से चलाते हैं। बहुत से लोग नहीं जानते होंगे, कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने इस शैक्षणिक क्षेत्र में शून्य से काम शुरू किया था। आजादी से पहले एक समय था कि और भी संस्थान थे। यहां सतारा में फैक्ट्री है। फैक्ट्री कंपनी का नाम कूपर है! बहुत लोगों को नहीं पता, आजादी से पहले एक मुंबई राज्य था। कूपर मुंबई राज्य के पहले और मुख्यमंत्री थे। कूपर के पास एक फैक्ट्री थी। उस फैक्ट्री में हल के पुर्जे बनते थे। उन दिनों मजदूरों ने हल का हिस्सा कंधे पर रखकर गांव के किसानों का महत्व बताने की भूमिका निभाई थीऐसा करते हुए नई पीढ़ी को ज्ञान के सागर में लाना चाहिए, यह भूमिका अन्ना के दिमाग में आई। इसमें से ‘रयत शिक्षण संस्थान’ का जन्म हुआ था। आज लाखों लड़के-लड़कियां सीख गए, लाखों लड़के-लड़कियां सीख रहे हैं। शाखाएं हजारों हैं। जिन हजारो शाखाओ में शिक्षक, शुभचिंतक, विद्यार्थी होंगे हम अन्ना के आशीर्वाद से महाराष्ट्र के हर कोने में खड़ा करने में सफल हुए।मागा से बात करते हुए उन्हें बताया गया कि यह वास्तुकला लोगों की मदद से बनाई गई है। इसका मतलब यह नहीं है कि मदद स्थानीय थी। लोकल थी पर रामशेठ ठाकुर ! जिला अपना रायगढ़। ऐसे दूर के लोगों ने भी इसे छुआ। ये रामशेठ ठाकुर कौन था ? वो हमारे साथ सांसद थे। लेकिन इनको राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि। आपको हैरानी होगी कि रामशेठ ठाकुर रयत शिक्षण संस्थान को हर साल कम से कम 5 करोड़ बिना मांगे देते हैं। हम किसी भी कार्यक्रम में जाकर रामशेठ करते हैं तो मैं आसानी से पूछ लेता हूँ कि आज क्या खास है? उनसे पूछा कि वो बोलने के लिए खड़े हो गए या मैं कहने के लिए खड़ा हो गया कि वो उठ कर बड़ी रकम घोषित कर देते हैं। कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने रामशेठ ठाकुर रयत शिक्षण संस्थान में ‘कमाओ और सीखो’ की योजना बनाई, जो गरीबों के बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से नहीं पढ़ सकते। उस समय रामशेठ का नाम रायगढ़ नही कुलाबा जिला था कुलाबा जिले की उन शाखाओं ने रयते की ‘कमाओ और सीखो’ शाखा में भाग लिया और खूब सीखा। बाद में वे व्यवसाय में सफल हुए और इस काम के लिए करोड़ों रुपये दे दिए। एक ही भूमिका श्री घर पर या कई लोगों द्वारा ली गई है। रयत शिक्षण संस्थान की खासियत यह है कि आज कई ऐसे दानशूर लोग बड़ी मदद कर रहे हैं।हमें बहुत कुछ करना है। यहाँ की शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी? इसका ध्यान रखने की जरूरत है। नई टेक्नोलॉजी कैसे लाएं? इस बारे में सोचना होगा। जिसका उल्लेख पिछले वक्ताओं ने किया था, कल देश से बाहर के लोग भी ‘artificial Intelligence’ विषय पर बारामती में आये थे। कृषि अर्थव्यवस्था या उद्योग के हर क्षेत्र में एक नई तकनीक लाकर क्या बदलाव करना है? और कैसे करें? इस रिश्ते की चर्चा हुई। मुझे एक बात की खुशी है कि रयत शिक्षण संस्थान ही एक संस्था है। ये बौद्धिक संपदा सभी शाखाओं में गरीब बच्चों तक कैसे पहुँच सकती है? इस तरह का वर्णन किया गया है। कुछ दिनों में यह विचार, इस टेक्नोलॉजी को टोटल स्कूल में कैसे पहुंचा दिया जा सकता है? यादें हमारे लोगों के कदम हैं।यह एक बहुत अच्छी वास्तुकला है। मुझे बस इतना कहना है। मुझे लगता है इस क्षेत्र में पानी की कमी है। चलो करते हैं जो हम महसूस करते हैं। जगह अच्छी है, आँगन अच्छा है। आस पास पानी की व्यवस्था करके अच्छे पेड़ लगाये। ये पूरा क्षेत्र हरा भरा कैसे होगा? नई पीढ़ी को इससे कैसे प्रोत्साहन मिलेगा? मेरा आग्रह है कि हम सभी साथियों का ध्यान रखें। इस संगठन और कई लोगों ने इस कार्यक्रम के लिए हाथ मिलाया। मैंने सोचा कि यह मजेदार है कि उनमें से कई के पास शरद पवार भी हैं। जो गांव के सरपंच है और उसमें मेहनत की है। अच्छी बात यह है कि आप लोगों ने इसे अपने कंधों पर लिया। अब इंतजार मत करो..! सफल होने के लिए। कैसे बदलेगी इस सारे परिवेश का चेहरा? इस बात का ध्यान रखना मुझे विश्वास है कि ऐसा करते हुए सभी स्थानीय लोग आपका दिल से सहयोग करेंगे।